#समाजशास्त्र का परिणाम
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भ्रष्टाचार क्या है? अर्थ, परिभाषा, स्वरूप, परिणाम
भ्रष्टाचार क्या है? अर्थ, परिभाषा, स्वरूप, परिणाम
प्रस्तावना :- सार्वजनिक जीवन में भ्रष्टाचार की समस्या से विश्व के सभी समाज पीड़ित हैं। सम्भवतः आधुनिक सभ्यता के विकास के साथ-साथ भ्रष्टाचार में भी वृद्धि हुई है। भारत में सार्वजनिक जीवन में भ्रष्टाचार एक गंभीर समस्या है। सरकारी मशीनरी और राजनेताओं के भ्रष्ट कारनामे आम जनता को हैरान करते हैं। दरअसल इन कारनामों से जनता का भरोसा उन पर से उठ रहा है. आज धारणा यह है कि सब अपनी-अपनी तिजोरी भरने में लगे…
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अपराध शास्त्र की प्रकृति क्या है | Nature of Criminology in Hindi
अपराधशास्त्र की प्रकृति - अपराधशास्त्र की प्रकृति के बारे में अपराधशास्त्रियों के मध्य अनेक भिन्नता रही है जिस कारण से यह हमेशा विवाद का विषय रहा है| अपराधशास्त्र में अपराध का अध्ययन मानव व्यवहार के रूप में किया जाता है तथा मानव व्यवहार परिवर्तनशील एवं जटिल होने के कारण अपराध का अध्ययन वैज्ञानिक तरीके से करना ही सम्भव है। इस प्रकार कुछ अपराधशास्त्री अपराध को विज्ञान के रूप में परिभाषित करते है और कुछ अपराधशास्त्री ऐसे है जो इसको विज्ञान नहीं मानते हैं। (क) अपराधशास्त्र विज्ञान के रूप में नहीं - अपराधशास्त्र को विज्ञान नहीं मानने वाले विद्वानों में माइकल एवं एडलर प्रमुख हैं जो अपने मत के पक्ष में निम्न तर्क प्रस्तुत करते है –(i) अपराधशास्त्र की प्रकृति स्वतन्त्र विज्ञान, (ii) वैज्ञानिक अध्ययन का आभाव, (iii) सर्वमान्य सिद्धान्त, (iv) विश्वसनीयता, (v) विश्वसनीय आंकड़ों का अभाव आदि(ख) अपराधशास्त्र विज्ञान के रूप में – जिस तरह अपराधशास्त्र को अनेक विद्वान विज्ञान नहीं मानते है उसी तरह अनेक विद्वान् अपराधशास्त्र को विज्ञान भी मानते हैं जो इसके पक्ष में निम्न तर्क प्रस्तुत करते है –(i) स्वतन्त्र विज्ञान, (ii) सर्वमान्य सिद्धान्त, (iii) वैज्ञानिक अध्ययन, (iv) घटनाओं का अध्ययनअपराधशास्त्र का क्षेत्र (scope of Criminology) - अपराधशास्त्र में अपराध और अपराधिक व्यवहार का अध्ययन किया जाता है, जिसमें आपराधिक गतिविधि के कारण और परिणाम भी शामिल होते हैं| सभ्यता, संस्कृति और वैज्ञानिक ज्ञान में विकास तथा वृद्धि के परिणामस्वरूप अपराध के विषय में समाज की धारणा में परिवर्तन आया और इसी कारण अपराधशास्त्र को ज्ञान की एक स्वतंत्र शाखा के रूप में मान्यता प्राप्त हुई। इनमें अपराध के रुझान और पैटर्न, आपराधिक न्याय प्रणाली और इसके संस्थानों पर शोध, और अपराध को कम करने के उद्देश्य से विभिन्न हस्तक्षेपों और नीतियों की प्रभावशीलता शामिल हो सकते है। इसके अतिरिक्त, अपराध विज्ञान में अपराध पीड़ितों, अपराधियों और समुदायों पर अपराध के प्रभाव का अध्ययन भी शामिल हो सकता है। अपराध विज्ञान का क्षेत्र अंतःविषय है, समाजशास्त्र, मनोविज्ञान, कानून, राजनीति विज्ञान और अन्य क्षेत्रों से अनुसंधान और सिद्धांतों पर आधारित है। Read More This Post - Nature of Criminology in Hindi Read the full article
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UPHESC: असंगत प्रोफेसर समाजशास्त्र के 273 पदों का परिणाम घोषित उत्तर प्रदेश उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग ने गुरुवार को असिस्टेंट प्रोफेसर समाजशास्त्र का परिणाम घोषित किया। प्रदेश की सहायता प्राप्त डिग्री कॉलेजों में रिक्त इस विषय के 273 पदों के लिए चयन किया गया ...। Source link
#UPHESC#uphesc.org#असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती यूपी#उच्चतर आयोग की पुनर्स्थापना#उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग#उच्चायोग का परिणाम#प्रयागराज#यूपी शिक्षक भर्ती का रिजल्ट#यूपी शिक्षक भर्ती रिजल्ट#यूपीएईएससी सहायक प��रोफेसर भर्ती#यूपीएचईएससी#यूपीएयैसी असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती#समाजशास्त्र शिक्षक भर्ती#सहायक प्रोफेसर भर्ती#हिंदी समाचार#हिंदुस्तान#हिन्दी में समाचार#हिन्दुस्तान
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मानसिक स्वास्थ्य वक्र को समतल करना अगला बड़ा कोरोनावायरस चैलेंज है
COVID-19 से उत्पन्न मानसिक स्वास्थ्य संकट तेजी से बढ़ रहा है। एक उदाहरण: जब एक 2018 सर्वेक्षण की तुलना में, यू.एस. वयस्क अब गंभीर मानसिक संकट के मानदंडों को पूरा करने के लिए आठ गुना अधिक हैं। जनगणना ब्यूरो के आंकड़ों के मई 2020 के अंत में एक तिहाई अमेरिकियों ने नैदानिक रूप से चिंता या नैदानिक अवसाद के महत्वपूर्ण लक्षणों की रिपोर्ट की।
जबकि सभी जनसंख्या समूह प्रभावित होते हैं, यह संकट छात्रों के लिए विशेष रूप से कठिन है, विशेष रूप से उन लोगों ने जो कॉलेज परिसरों को बंद कर चुके हैं और अब आर्थिक अनिश्चितता का सामना कर रहे हैं; घर पर बच्चों के साथ वयस्क, काम और घर की पढ़ाई के लिए संघर्ष करने वाले; और फ्रंट-लाइन स्वास्थ्य देखभाल कार्यकर्ता, दूसरों को बचाने के लिए अपने जीवन को जोखिम में डाल रहे हैं।
हम जानते हैं कि वायरस का मानव शरीर पर घातक प्रभाव पड़ता है। लेकिन हमारे मानसिक स्वास्थ्य पर इसका असर घातक भी हो सकता है। हाल के कुछ अनुमानों से पता चलता है कि मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों से उपजी मौतें सीधे विषाणु के कारण होने वाली मौतों को रोक सकती हैं। एक गैर-लाभकारी संस्था, वेल बीइंग ट्रस्ट के नवीनतम अध्ययन का अनुमान है कि COVID -19 से 27,644 से 154,037 अतिरिक्त निराशा की मौत हो सकती है, क्योंकि आत्महत्याओं और ड्रग ओवरडोज़ में बड़े पैमाने पर बेरोजगारी, सामाजिक अलगाव, अवसाद और चिंता ड्राइव बढ़ जाती है।
लेकिन बढ़ते मानसिक स्वास्थ्य वक्र को समतल करने में मदद करने के तरीके हैं। मनोवैज्ञानिकों के रूप में हमारा अनुभव अवसाद की महामारी की जांच करता है और सकारात्मक भावनाओं की प्रकृति हमें बता��ी है कि हम कर सकते हैं। एक ठोस प्रयास के साथ, नैदानिक मनोविज्ञान इस चुनौती को पूरा कर सकता है।
मानसिक स्वास्थ्य देखभाल को फिर से शुरू करना
हमारे क्षेत्र ने चिंता, अवसाद और आत्महत्या के इलाज और रोकथाम के लिए साक्ष्य-आधारित दृष्टिकोणों की लंबी सूची जमा की है। लेकिन ये मौजूदा उपकरण हाथ में काम के लिए अपर्याप्त हैं। सफल व्यक्ति-व्यक्ति मनोचिकित्सा के हमारे चमकदार उदाहरण - जैसे कि अवसाद के लिए संज्ञानात्मक व्यवहार थेरेपी, या आत्महत्या के रोगियों के लिए द्वंद्वात्मक व्यवहार थेरेपी - महामारी से पहले ही आबादी को कम कर रहे थे।
सार्वजनिक स्थानों पर वायरस के प्रसार के बारे में शारीरिक गड़बड़ी जनादेश और निरंतर चिंताओं के कारण, ये उपचार बड़े पैमाने पर रोगियों के लिए उपलब्ध नहीं हैं। एक और जटिलता: शारीरिक गड़बड़ी दोस्तों और परिवार के समर्थन नेटवर्क के साथ हस्तक्षेप करती है। ये नेटवर्क आमतौर पर लोगों को बड़े झटकों से निपटने की अनुमति देते हैं। अब वे हैं, अगर पूरी तरह से विच्छेद नहीं हुआ है, तो निश्चित रूप से कम हो गया है।
अब मरीजों को क्या मदद मिलेगी? नैदानिक वैज्ञानिकों और मानसिक स्वास्थ्य चिकित्सकों को हमारी देखभाल को फिर से तैयार करना होगा। इसमें चार परस्पर जुड़े मोर्चों पर कार्रवाई शामिल है।
सबसे पहले, एक व्यक्ति को मानसिक स्वास्थ्य देखभाल कैसे और कहां मिलती है, इसका पारंपरिक मॉडल बदलना होगा। चिकित्सकों और नीति निर्माताओं को सबूत-आधारित देखभाल प्रदान करनी चाहिए जो क्लाइंट दूरस्थ रूप से एक्सेस कर सकते हैं। पारंपरिक "इन-पर्सन" दृष्टिकोण - जैसे कि मानसिक स्वास्थ्य पेशेवर के साथ व्यक्तिगत या समूह क��� आमने-सामने सत्र - वर्तमान आवश्यकता को पूरा करने में कभी सक्षम नहीं होंगे।
टेलीहेल्थ थेरेपी सत्र शेष अंतराल का एक छोटा सा हिस्सा भर सकता है। Nontraditional मानसिक स्वास्थ्य देखभाल वितरण के रूपों को बाकी को भरना होगा। इन विकल्पों को पहिया के सुदृढीकरण की आवश्यकता नहीं है; वास्तव में, ये संसाधन पहले से ही सुलभ हैं। उपलब्ध विकल्पों में: खुशी के विज्ञान पर वेब-आधारित पाठ्यक्रम, ओपन-सोर्स वेब-आधारित उपकरण और पॉडकास्ट। स्व-पुस्तक, वेब-आधारित हस्तक्षेप भी हैं - माइंडफुलनेस-आधारित संज्ञानात्मक चिकित्सा एक है - जो मुफ्त में या कम दरों पर सुलभ हैं।
मानसिक स्वास्थ्य के लिए व्यायाम एक बेहतरीन गतिविधि है। गेटी इमेजेज / पेट्रिक गिआर्डिनो
मानसिक स्वास्थ्य का प्रदर्��न करना
दूसरा, मानसिक स्वास्थ्य देखभाल को लोकतांत्रित किया जाना चाहिए। इसका मतलब है कि इस धारणा को छोड़ देना कि उपचार के लिए एकमात्र रास्ता एक चिकित्सक या मनोचिकित्सक के माध्यम से है जो ज्ञान या दवाओं का वितरण करता है। इसके बजाय, हमें अन्य प्रकार के सहयोगी और समुदाय-आधारित भागीदारी की आवश्यकता है।
उदाहरण के लिए, मानसिक संकट के खिलाफ एक बफर के रूप में सामाजिक समर्थन के ज्ञात लाभों को देखते हुए, हमें सहकर्मी द्वारा वितरित या सहकर्मी समर्थित हस्तक्षेप - जैसे कि सहकर्मी के नेतृत्व वाले मानसिक स्वास्थ्य सहायता समूहों को बढ़ाना चाहिए, जहां समान सामाजिक स्थिति के लोगों के बीच जानकारी का संचार किया जाता है सामान्य मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं। सहकर्मी कार्यक्रमों में बहुत लचीलापन होता है; अभिविन्यास और प्रशिक्षण के बाद, सहकर्मी नेता व्यक्तिगत ग्राहकों या समूहों की मदद करने में सक्षम हैं, व्यक्तिगत रूप से, ऑनलाइन या फोन के माध्यम से। प्रारंभिक डेटा से पता चलता है कि ये दृष्टिकोण गंभीर मानसिक बीमारी और अवसाद का सफलतापूर्वक इलाज कर सकते हैं। लेकिन वे अभी तक व्यापक रूप से उपयोग नहीं किए जाते हैं।
सक्रिय दृष्टिकोण लेना
तीसरा, नैदानिक वैज्ञानिकों को जनसंख्या स्तर पर मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देना चाहिए, ऐसी पहल के साथ जो उपचार की तलाश करने वालों पर विशेष रूप से ध्यान केंद्रित करने के बजाय सभी को लाभान्वित करने का प्रयास करें। इन प्रचार रणनीतियों में से कुछ में पहले से ही स्पष्ट वैज्ञानिक समर्थन है। वास्तव में, सबसे अच्छा समर्थित जनसंख्या हस्तक्षेप, जैसे कि व्यायाम, नींद की स्वच्छता और बाहर समय बिताना, खुद को पल की जरूरतों के लिए पूरी तरह से उधार देते हैं: तनाव से राहत, मानसिक बीमारी-अवरोधक और लागत-मुक्त।
अंत में, हमें जनसंख्या स्तर पर मानसिक स्वास्थ्य को ट्रैक करना चाहिए, ठीक उसी तरह जैसे कि COVID-19 को ट्रैक और मॉडलिंग किया जाता है। हमें अब और अधिक मानसिक स्वास्थ्य परिणाम डेटा एकत्र करना चाहिए। इस डेटा में मानसिक स्वास्थ्य पेशेवरों के मूल्यांकन के साथ-साथ रोजमर्रा के नागरिकों की रिपोर्ट भी शामिल होनी चाहिए जो अपने दैनिक अनुभवों को दूरस्थ-आधारित सर्वेक्षण प्लेटफार्मों के माध्यम से साझा करते हैं।
जनसंख्या-स्तर के मानसिक स्वास्थ्य की निगरानी के लिए टीम के प्रयास की आवश्यकता होती है। डेटा एकत्र किया जाना चाहिए, फिर विश्लेषण किया जाएगा; निष्कर्ष कुछ विषयों में साझा किए जाने चाहिए - मनोविज्ञान, मनोविज्ञान, महामारी विज्ञान, समाजशास्त्र और सार्वजनिक स्वास्थ्य। एनआईएच जैसे प्रमुख संस्थानों से निरंतर वित्त पोषण आवश्यक है। जो लोग कहते हैं कि यह बहुत लंबा क्रम है, हम पूछते हैं, "विकल्प क्या है?" मानसिक स्वास्थ्य वक्र को समतल करने से पहले, वक्र दिखाई देना चाहिए।
COVID-19 ने पुराने मानसिक स्वास्थ्य आदेश की अपर्याप्तता का खुलासा किया है। एक टीका इन समस्याओं को हल नहीं करेगा। मानसिक स्वास्थ्य प्रतिमानों में बदलाव की जरूरत है। वास्तव में, क्रांति अतिदेय है।
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दीक्षांत परेड समारोह में लेंगे कर्तव्यपरायणता की शपथ
चण्डीगढ-24 जुलाई 2020- हरियाणा पुलिस अकादमी मधुबन में 25 जुलाई को सुबह 11 बजे दीक्षांत परेड समारोह होगा। वच्छेर स्टेडियम में होने वाले दीक्षांत परेड समारोह में 56 महिला व 344 पुरूष प्रोबेशनर सबइंस्पेक्टर भाग लेंगे और संविधान के प्रति सच्ची निष्ठा व कर्तव्यपरायणता की शपथ लेंगे। मुख्य अतिथि श्री मनोहर लाल माननीय मुख्यमंत्री हरियाणा दीक्षांत परेड की सलामी लेंगे। इस बैच में अपनी मेहनत व लगन से परीक्षा परिणाम में सर्वश्रेष्ठ चार स्थान प्राप्त करने वालें जवानों को मुख्यातिथि पुरस्कृत करेंगे।
हरियाणा पुलिस अकादमी के निदेशक/पुलिस महानिरीक्षक योगिन्द्र सिंह नेहरा ने दीक्षांत परेड समारोह में शामिल होने वाले जवानों को बधाई दी और उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की। उन्होंने कहा कि सभी ने कड़ी मेेहनत और लगन से प्रशिक्षण को पूरा किया है। जिस अनुशासन और कर्तत्वयपरायणता के साथ इस प्रोबेशनर सब इंस्पेक्टर बैच ने प्रशिक्षण प्राप्त किया आशा है कि अपने कार्य क्षेत्र में बेहतर परिणाम देंगे।
प्रोबेशनर सब इंस्पेक्टर बैच संख्या 16 में सर्वश्रेष्ठ रहे प्रोबेशनर सब इंस्पेक्टर संदीप कुमार गांव बास जिला हिसार का जन्म 2 मार्च 1984 को हुआ। इनकी शैक्षणिक योग्यता बी.ए. है, किसान परिवार के संदीप ने 17 वर्ष भारतीय सेना में सेवा की है। सेना में भी ऑल इंडिया बेस्ट ऑफ फिजिकल रहे थे। वर्दी के प्रेम ने सेना के बाद इन्हें पुलिस में भर्ती होने के लिए प्रेरित किया।
द्वितीय स्थान पर रहे प्रोबेशनर सब इंस्पेक्टर साहिल कुमार का जन्म गांव जैनाबाद जिला रेवाड़ी में 22 अगस्त 1995 को हुआ। इनकी शैक्षणिक योग्यता एमएससी, गणित विज्ञान है। इन्होंने हिन्दु कॉलेज दिल्ली से उच्च श��क्षा ग्रहण की। पिता के देहांत के बाद इनकी माता व बहन ने पिता के सपने को पूरा करने के लिए प्रेरित किया।
तृतीय स्थान पर रहे प्रोबेशनर सब इंस्पेक्टर सूरज निवासी विजयनगर जिला रेवाड़ी का जन्म 20 दिसम्बर 1994 को हुआ। इनकी शैक्षणिक योग्यता बीटेक कम्प्यूटर सार्इंस है। इन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से उच्च शिक्षा ग्रहण की। सूरज ने अपनी माता के समाजसेवी भाव की सोच को अग्रसर करते हुए पुलिस विभाग को चुना।
इसी बैच में प्रशिक्षण प्राप्त कर रही 56 महिला प्रोबेशनर सब इंस्पेक्टर में श्रेष्ठ रही श्रीमती रेखा ऐलनाबाद, जिला सिरसा का जन्म 8 अगस्त 1995 को हुआ। इनकी शैक्षणिक योग्यता एमए समाजशास्त्र है। इन्होंने सरस्वती महिला महाविद्यालय हनुमानगढ़, राजस्थान से उच्च शिक्षा ग्रहण की। किसान परिवार में जन्मीं व उच्च शिक्षा ग्रहण करके रेखा ने महिला उत्थान के लिए पुलिस विभाग में कदम रखा। महिलाओं की सुरक्षा व उन्हें सशक्त बनाना इनकी प्राथमिकता है।
प्रथम स्थान प्राप्त करने वाले प्रोबेशनर सबइंस्पेक्टर संदीप कुमार।
द्वितीय स्थान प्राप्त करने वाले प्रोबेशनर सबइंस्पेक्टर साहिल कुमार।
तृतीय स्थान प्राप्त करने वाले प्रोबेशनर सबइंस्पेक्टर सूरज।
महिलाओं में श्रेष्ठ स्थान प्राप्त करने वाली प्रोबेशनर सबइंस्पेक्टर रेखा !
400 प्रोबेशनर सब इंस्पेक्टर होंगे जनसेवा में समर्पित दीक्षांत परेड समारोह में लेंगे कर्तव्यपरायणता की शपथ चण्डीगढ-24 जुलाई 2020- हरियाणा पुलिस अकादमी मधुबन में 25 जुलाई को सुबह 11 बजे दीक्षांत परेड समारोह होगा। वच्छेर स्टेडियम में होने वाले दीक्षांत परेड समारोह में 56 महिला व 344 पुरूष प्रोबेशनर सबइंस्पेक्टर भाग लेंगे और संविधान के प्रति सच्ची निष्ठा व कर्तव्यपरायणता की शपथ लेंगे। मुख्य अतिथि श्री मनोहर लाल माननीय मुख्यमंत्री हरियाणा दीक्षांत परेड की सलामी लेंगे। इस बैच में अपनी मेहनत व लगन से परीक्षा परिणाम में सर्वश्रेष्ठ चार स्थान प्राप्त करने वालें जवानों को मुख्यातिथि पुरस्कृत करेंगे।
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Article- सिविल सेवा परीक्षा: अंग्रेजी बनाम हिन्दी Debate: Civil Services Examination: English vs Hindi जब भी सिविल सेवा परीक्षा के परिणाम घोषित होते हैं, मीडिया में इसे अंग्रेजी बनाम हिन्दी भाषा का रूप देकर अमूमन यह स्थापित करने की कोशिश की जाती है कि हिन्दी माध्यम वालों का चयन नहीं होता है। अभी भी इस परीक्षा पर अंग्रेजी भाषा का दबदबा है, और ऐसा जानबूझकर किया जाता है। ‘‘अंग्रेजी भाषा का दबदबा है’’, इस निष्कर्ष से कोई एतराज नहीं है, क्योंकि यह सही है। लेकिन इस अनुमानित एवं सौ प्रतिशत गलत तथ्य के प्रति विरोध जरूर है कि ‘‘ऐसा जानबूझकर किया जाता है,’’ या कि ‘‘यह परीक्षा अंग्रेजी वालों के पक्ष में है।’’ चूंकि इस परीक्षा के जरिये देश के शीर्षस्थ नोकरशाहों की भर्ती की जाती है, तथा इसमें हर वर्ष सालों-साल रात-दिन तैयारी कर-करके लाखों स्नातक युवा बैठते हैं, इसलिए इसके सत्य को जानना निहायत ही जरूरी है। अन्यथा तो हम अप्रत्यक्ष रूप से संघ लोक सेवा आयोग की निष्पक्षता पर ही संदेह कर रहे हैं। कुछ ही दिनों पहले वर्ष 2017-18 के रिजल्ट आये हैं। इसमें शुरू के 25 सफल विद्यार्थियों में एक भी हिन्दी अथवा क्षेत्रीय भाषा के माध्यम से नहीं है, यह सच है। लेकिन इस सच के पीछे के सच को जाने बिना यह सच एकदम अधूरा रह जाता है, एक अर्धसत्य की तरह; जो असत्य से भी अधिक खतरनाक होता है। हिन्दी तथा अन्य क्षेत्रीय भाषाओं के प्रेमियों के लिए तो इस सत्य के पीछे के सत्य को जानना और भी अधिक जरूरी है, ताकि वे इस दिशा में व्यावहारिक उपाय करके इसके आकंड़ों में कुछ सुधार ला सकें। भारत सरकार के विभिन्न मंत्रालयों की तरह संघ लोक सेवा आयोग भी हर साल अपनी वार्षिक रिपोर्ट जारी करती है। इसमें सिविल सेवा परीक्षा के परिणामों के बारे में बहुत विस्तार के साथ खुलासा किया जाता है। फिलहाल वर्ष 2016 के परिणाम के आँकड़े उपलब्ध हैं। हम इन्हीं के कुछ आँकड़ों के आधार पर यहाँ भाषा संबंधी सत्य को जानने की कोशिश करते हैं। तीन स्तरों वाली इस परीक्षा के जरिये हर साल विभिन्न 25 सेवाओं के लिए लगभग एक हजार युवाओं को चुना जाता है। इन अंतिम चयनित युवाओं में 51.5 प्रतिशत इंजीनियरिंग से, 13.5 प्रतिशत मेडिकल से तथा 7 प्रतिशत विज्ञान की पृष्ठभूमि वाले होते हैं। इन सभी का टोटल 72 प्रतिशत है। यानी कि 72 प्रतिशत विद्यार्थियों के विषय स्नातक में मूलतः विज्ञान के विषय होते हैं। यहाँ यह बात गौर करने की है कि विज्ञान की शिक्षा का मुख्य माध्यम अंग्रेजी है। इसलिए यह स्वाभाविक ही है कि जब इन स्टूडेन्टस् के सामने भाषा का माध्यम चुनने का विकल्प आता है, तो ये अंग्रेजी को चुनते हैं और चुनना ही चाहिए, क्योंकि भाषा की प्रौढ़ता सिविल सेवा परीक्षा में सफलता का एक अनिवार्य तत्व होता है। शेष 28 प्रतिशत चयनित विद्यार्थी ही आटर््स की पृष्ठभूमि वाले होते ���ैं। लेकिन इनमें से भी बहुत से विद्यार्थी अंग्रेजी माध्यम से ही पढ़कर आये हुए होते हैं। यह बताने की जरूरत नहीं है कि आज जब जरा भी ‘अच्छे स्कूल’ की बात आती है, तो वहाँ पढ़ाई का माध्यम अंग्रेजी होना इसकी पहली शर्त होती है। सच यह है कि हिन्दी एवं क्षेत्रीय भाषाओं में ‘‘तथाकथित अच्छे स्कूलों’’ का अस्तित्व अब हम जैसे लोगों की पुरानी स्मृतियों में ही रह गया कि जो सरकारी हिन्दी स्कूलों में पढ़कर आये और आज से 35 साल पहले हिन्दी मीडियम से सफलता भी पा सके। वर्तमान शिक्षा के इस भाषाई चेहरे को समझे बिना हिन्दी-अंग्रेजी की इस बहस को समझा नहीं जा सकता। अब हम एक अन्य आँकड़ा लेते हैं। इस परीक्षा का सर्वाधिक प्रिय विषय भूगोल है। टोटल 3500 लड़कों में से हिन्दी माध्यम वाले विद्यार्थी केवल 400 होते हैं, यानी कि लगभग 12 प्रतिशत। अन्य विषयों की भी भाषाई स्थिति यही है। उदाहरण के तौर पर द्वितीय लोकप्रिय विषय लोक-प्रशासनल के कुल 2800 विद्यार्थियों में हिन्दी वाले केवल 186 थे। यहाँ तक कि समाजशास्त्र के 1500 में हिन्दी के थे केवल 76। यहाँ मैं यह बात विशेष रूप से बताना चाहूंगा कि यह चरण इस परीक्षा का दूसरा तथा सबसे महत्वपूर्ण चरण होता है, और कुल 2025 अंकों वाली इस परीक्षा के 1750 अंक इसी चरण में होते हैं। इस परीक्षा की एक मजेदार बात यह है कि चयनित होने वाले छात्रों में 87.5 प्रतिशत छात्र आर्ट्स के ही विषयों को तरजीह देते हैं। यह 500 अंकों का होता है। शेष 1250 अंकों में 4 पेपर जनरल स्टडीज़ के होते हैं, जिनमें आर्ट्स के विषय होते हैं। एक पेपर निबंध का होता है, जो आटर््स के स्टूडेन्ट्स के अधिक अनुकूल होता है। यहाँ विचारणीय तथ्य यह है कि वह परीक्षा पूरी तरह से आर्ट्स के विद्यार्थियों के पक्ष में है। इसके बावजूद सफल होने वालों में तीन-चौथाई छात्र विज्ञान के क्यों हैं? यहाँ यह भी बताना उपयुक्त होगा कि परीक्षा के द्वितीय चरण तक पहुँचने के लिए किसी भी तरह की भाषाई योग्यता की जरूरत नहीं होती। और यह भी कि प्रथम चरण का जनरल स्टडीज़ के वस्तुनिष्ठ प्रकार के पेपर के अधिकांश विषय आर्ट्स वाले होते हैं। हाँ, मुख्य परीक्षा (द्वितीय चरण) में जनरल इंग्लिश का एक पेपर जरूर होता है, जिसे हिन्दी माध्यम वालों के लिए एक बाधा कहा जा सकता है। लेकिन बहुत ही छोटी-सी बाधा, क्योंकि एक तो इसका स्तर दसवीं कक्षा का होता है। दूसरा ��स पेपर को केवल क्वालीफाई करना पड़ता है। उसके प्राप्तांक जोड़े नहीं जाते। दरअसल, हिन्दी माध्यम वालों की दो सबसे बड़ी समस्या होती हैं, जिसे उन्हें समझना होगा। पहली यह कि उनकी भाषा हिन्दी तो होती है लेकिन वह नहीं, जिसे अकादमिक हिन्दी कहा जाता है। दूसरी यह कि बहुत कम विद्यार्थी अपने स्कूल और कॉलेज की पढ़ाई के दौरान विषय के प्रति तार्किक दृष्टि विकसित कर पाते हैं। जो कर लेते हैं, वे सफल हो जाते हैं। तार्किकता अपने-आप ही अपने अनुकूल भाषा की भी तलाश कर लेती है। जबकि विज्ञान के विद्यार्थी इन दोनों से लैस होते हैं। वे अंग्रेजी जानते हैं, क्योंकि उनकी अंग्रेजी सीखी हुई अंग्रेजी होती है, केवल सुनी हुई नहीं। साथ ही जब वे परीक्षा में आर्ट्स के विषय लेते हैं, तो वे उस विषय को भी विज्ञान की तरह पढ़कर उसे समझने की कोशिश करते हैं, क्योंकि यह उनकी आदत बन चुकी होती है। अंत में एक बात और। क्या हिन्दी की या तमिल-उर्दू की कॉपी भी अंग्रेजी जानने वाले जाँचेंगे? यदि नहीं, तो क्या ये हिन्दी, तमिल और उर्दूभाषी परीक्षक अपनी ही भाषाओं से विद्वेष रखते हैं? इस ओर भी ध्यान दिया जाना चाहिए। इसलिए समस्या भाषाई द्वेष की नहीं, बल्कि स्वयं को परीक्षा की आवश्यकता के अधिक से अधिक अनुकूल बनाने की है। NOTE: यह लेख ‘दैनिक जागरण’ के संपादकीय पृष्ठ पर प्रकाशित हुआ था।
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पार्टी का कार्यक्रम
पार्टी का कार्यक्रम जर्मन श्रमिक पार्टी का कार्यक्रम सीमित अवधि तक सीमित है। लोगों की कृत्रिम रूप से बढ़ती असंतोष ने पार्टी के निरंतर अस्तित्व को सुनिश्चित करने के लिए, नेताओं का कोई इरादा नहीं है, एक बार ताजा लोगों को स्थापित करने के लक्ष्य की घोषणा की गई है। 1. हम सभी जर्मन संघों की मांग करते हैं, जो कि लोगों के आत्मनिर्णय के अधिकार के आधार पर, एक महान जर्मनी बनाने के लिए। 2. हम अन्य राष्ट्रों के साथ अपने व्यवहार में जर्मनी के फेपल के अधिकारों की समानता की मांग करते हैं, और वर्सेल्स और सेंट के शांति संधि के उन्मूलन की मांग करते हैं। जर्मेन। 3. हम लोगों के पोषण के लिए भूमि और क्षेत्र (कालोनियों) की मांग करते हैं और हमारी अधिशेष आबादी का निपटान करने के लिए। 4. कोई भी नहीं लेकिन राष्ट्र के सदस्य राज्य के नागरिक हो सकते हैं। कोई भी नहीं, लेकिन जर्मन रक्त के, जो भी उनके पंथ, देश के सदस्य हो सकते हैं। इसलिए कोई यहूदी राष्ट्र का सदस्य नहीं हो सकता है। 5. जो भी राज्य का नागरिक नहीं है, वह केवल मेहमान के रूप में जर्मनी में ही रह सकता है और इसे एलियन कानूनों के अधीन माना जाना चाहिए। 6. नेतृत्व और कानून पर मतदान का अधिकार अकेले राज्य के नागरिकों का आनंद उठाया जा सकता है। इसलिए हम मांग करते हैं कि रीच, प्रांतों या छोटे समुदायों में चाहे किसी भी तरह की सभी आधिकारिक नियुक्तियां, अकेले राज्य के नागरिकों को दी जाएंगी। हम केवल पार्टी के विचारों के लिए और चरित्र या क्षमता के संदर्भ के बिना पद भरने के राज्य के भ्रष्ट संसदीय परंपरा का विरोध करते हैं। 7. हम मांग करते हैं कि राज्य राज्य के नागरिकों के उद्योग और आजीविका को बढ़ावा देने के लिए इसे अपना पहला कर्तव्य बनाएगा। अगर राज्य की पूरी आबादी को पोषण करना संभव नहीं है, तो विदेशी नागरिक (राज्य के गैर नागरिक) को रैह से बाहर रखा जाना चाहिए 8. सभी आगे गैर जर्मन आव्रजन को रोका जाना चाहिए। हम मांग करते हैं कि जो सभी गैर जर्मन लोग जर्मनी में 2 अगस्त, 1 9 14 के बाद में प्रवेश करेंगे, उन्हें तुरंत रीच से प्रस्थान करने की आवश्यकता होगी 9. राज्य के सभी नागरिकों के पास समान अधिकार और कर्तव्यों होंगे। 10. मानसिक या शारीरिक कार्य करने के लिए राज्य के प्रत्येक नागरिक का पहला कर्तव्य होना चाहिए। व्यक्ति की गतिविधियों को पूरे हितों के साथ संघर्ष नहीं करना चाहिए, लेकिन समुदाय के ढांचे के भीतर आगे बढ़ना चाहिए और सामान्य अच्छे के लिए होन��� चाहिए। हम इसलिए मांग करते हैं: 11. काम से अनर्जित आय के उन्मूलन ब्याज की पेटी को खत्म करना। 12. हर युद्ध से एक राष्ट्र की मांग की जा रही जीवन और संपत्ति के विशाल बलिदान को ध्यान में रखते हुए, युद्ध के माध्यम से निजी संवर्धन को देश के खिलाफ अपराध माना जाना चाहिए। इसलिए हम सभी युद्ध मुनाफे की क्रूर जब्ती की मांग करते हैं। 13. हम उन सभी व्यवसायों के राष्ट्रीयकरण की मांग करते हैं, जिनके पास (अब तक) एकीकरण (ट्रस्ट में) किया गया है। 14. हम मांग करते हैं कि महान उद्योगों में लाभ साझेदारी होगी। 15, हम बुढ़ापे के लिए प्रावधान का एक उदार विकास की मांग करते हैं। 16. हम एक स्वस्थ मध्यम वर्ग के निर्माण और रखरखाव की मांग करते हैं, थोक गोदामों की तत्काल सांप्रदायिकता, और छोटे पड़े व्यापारियों के लिए कम दर पर उनके पट्टे, और सबसे सावधानीपूर्वक विचार राज्य, प्रान्तों या छोटे समुदायों को सभी छोटे पैरोकारों को दिखाया जाएगा। 17. हम अपनी राष्ट्रीय आवश्यकताओं के लिए एक भूमि सुधार की मांग करते हैं, सांप्रदायिक उद्देश्यों के लिए भूमि के मुआवजे के बिना जब्ती के कानून को पारित करना, बंधक पर ब्याज का उन्मूलन और भूमि में सभी अटकलों को निषेध करना। 13 अप्रैल 1 9 28 को, एडॉल्फ हिटलर ने घोषणा के बाद कहा: "एनएसडीएआर के कार्यक्रम के अंक 17 के हमारे विरोधियों के हिस्से पर गलत व्याख्या का उत्तर देना जरूरी है "चूंकि एनएसडीएपी निजी संपत्ति के सिद्धांत को स्वीकार करता है, यह स्पष्ट है कि मुआवजे के बिना 'जब्ती' की अभिव्यक्ति केवल जब्त करने के संभावित कानूनी साधनों के निर्माण के लिए होती है, जब आवश्यक हो, भूमि अवैध रूप से अधिग्रहित हो या राष्ट्रीय कल्याण के अनुसार प्रशासित न हो । इसलिए इसीलिए उन यहूदियों की कंपनियों के खिलाफ पहला उदाहरण दिया जाता है, जो भूमि पर अटकलें लगाते हैं। " "(हस्ताक्षरित) एडॉल्फ हिटलर।" "म्यूनिख, 13 अप्रैल 1 9 28।" 18. हम उन सभी लोगों पर क्रूर युद्ध की मांग करते हैं जिनके काम सामान्य ��ितों के लिए हानिकारक हैं। देश, बीमाकर्ता, मुनाफाखोर और सी। के खिलाफ आम अपराधियों को मौत के साथ दंडित किया जाना चाहिए, जो भी उनके पंथ या दौड़ 19. हम मांग करते हैं कि रोमन कानून, जो भौतिकवादी विश्व व्यवस्था में कार्य करता है, को जर्मन आम कानून द्वारा प्रतिस्थापित किया जाएगा। 20. हर सक्षम और मेहनती जर्मन को खोलने के उद्देश्य से उच्च शिक्षा की संभावना और राज्य के प्रमुख पदों के लिए परिणामस्वरूप उन्नति के लिए हमारे राष्ट्रीय शिक्षा प्रणाली के संपूर्ण पुनर्निर्माण पर विचार करना चाहिए। व्यावहारिक जीवन की आवश्यकताओं के साथ सभी शैक्षणिक प्रतिष्ठानों के पाठ्यक्रम को लाया जाना चाहिए। राज्य के राज्य (राज्य समाजशास्त्र) के विचार को समझने के लिए सीधे तौर पर दिमाग का विकास विद्यालयों को पढ़ाने के लिए करना चाहिए। हम गरीब माता-पिता के विशेष रूप से प्रतिभाशाली बच्चों की शिक्षा की मांग करते हैं, जो कि राज्य की कीमत पर चाहे उनके वर्ग या व्यवसाय का हो। 21. राज्य में माता और शिशुओं की सुरक्षा, बाल श्रम पर रोक लगाने और कानूनी रूप से अनिवार्य जिमनास्टिक और शुक्राणुओं द्वारा शारीरिक क्षमता में वृद्धि, और शारीरिक प्रशिक्षण में लगे क्लबों के व्यापक समर्थन से स्वयं को देश में स्वास्थ्य के स्तर को बढ़ाने के लिए आवेदन करना चाहिए। युवा। 22. हम भाड़े के सैनिकों के उन्मूलन और एक राष्ट्रीय सेना के गठन की मांग करते हैं 23. हम प्रेस में सचेत राजनीतिक झूठ और उनके प्रसार के खिलाफ कानूनी युद्ध की मांग करते हैं। एक जर्मन राष्ट्रीय प्रेस के निर्माण की सुविधा के लिए हम मांग करते हैं: (ए) कि जर्मन भाषा को रोजगार देने वाले अखबारों के सभी संपादक और योगदान राष्ट्र के सदस्य होने चाहिए; (बी) गैर जर्मन अखबारों के सामने आने से पहले राज्य से यह विशेष अनुमति आवश्यक होगी। ये जरूरी नहीं कि जर्मन भाषा में मुद्रित किया जाए; (सी) गैर जर्मनों को जर्मन समाचार पत्रों में वित्तीय रूप से भाग लेने या प्रभावित करने से कानून द्वारा निषिद्ध किया जाएगा, और कानून के उल्लंघन के लिए दंड किसी ऐसे अख़बार को दमन कर देगा, और नॉन-जर्मन में शामिल होने के तत्काल निर्वासित होंगे। उन समाचार पत्रों को प्रकाशित करने के लिए मना किया जाना चाहिए जो राष्ट्रीय कल्याण के लिए अनुपालन नहीं करते हैं हम कला और साहित्य में सभी प्रकार के प्रवृत्तियों की मांग करते हैं जो कि एक राष्ट्र के रूप में हमारी जिंदगी को बिखरने की संभावना है, और संस्थानों के दमन जो उपरोक्त आवश्यकताओं के विरुद्ध उपद्रव करते हैं। 24. हम राज्य में सभी धार्मिक संप्रदायों के लिए स्वतंत्रता की मांग करते हैं, जहां तक वे इसके लिए खतरा नहीं हैं और जर्मन जाति की नैतिकता और नैतिक भावना के खिलाफ लय नहीं करते। पार्टी, जैसे, सकारात्मक ईसाई धर्म के लिए खड़ा है, लेकिन पंथ के मामले में खुद को किसी भी विशेष कबूल करने के लिए बाध्य नहीं करती। यह हमारे भीतर और बिना यहूदी भौतिकवादी भावनाओं का मुकाबला करता है, और यह आश्वस्त है कि हमारे देश केवल सिद्धांत पर ही स्थायी स्वास्थ्य प्राप्त कर सकते हैं: स्वयं ब्याज से पहले आम रुचि 25. यह सभी पूर्वगामी आवश्यकताओं का एहसास हो सकता है कि हम रैह की एक मजबूत केन्द्रीय सत्ता के निर्माण की मांग करते हैं। राजनीतिक रूप से केंद्रीय संसद के पूरे रिच और उसके संगठन में सामान्य तौर पर बिना शर्त प्राधिकरण। परिसंघ के विभिन्न राज्यों में रीच द्वारा प्रख्यापित सामान्य कानूनों को निष्पादित करने के उद्देश्य के लिए आहार और व्यावसायिक मंडलों का गठन। पार्टी के नेताओं के परिणाम की परवाह किए बिना आगे बढ़ने के लिए कसम खाई जाती है- यदि आवश्यक हो तो उनके जीवन के बलिदान पर पूर्वगामी अंक की पूर्ति 1. म्यूनिच, 24 फरवरी, 1920। 18 सितंबर 1 9 22 को सर्कस क्रोन में आयोजित एक बैठक में हिटलर ने "पार्टी की कुछ मूलभूत मांगों को तैयार किया "1। हमें 1 9 18 के नवंबर अपराधियों को बुलाने के लिए कॉल करना चाहिए। ऐसा नहीं हो सकता है कि दो मिलियन जर्मन व्यर्थ हो गए हों और एहरवारों को एक ही मेज पर धोखेबाज के साथ दोस्तों के रूप में बैठना चाहिए। नहीं, हम क्षमा नहीं करते, हम मांग-प्रतिशोध! " "2। राष्ट्र के अपमान को समाप्त करना चाहिए। अपने जन्मभूमि और ब्योरेदारों के विश्वासघाती लोगों के लिए फांसी सही जगह है। हमारे सड़कों और वर्गों को एक बार फिर हमारे नायकों के नाम रखना होगा; यहूदियों के नाम पर उनका नाम नहीं रखा जाएगा। दोषी के प्रश्न में हमें सत्य का प्रचार करना चाहिए " "3। राज्य के प्रशासन को दंड के साफ होना चाहिए जो पक्षों की स्टाल पर वसा हो गया है "। "4। सूझी के खिलाफ लड़ाई में वर्तमान ढिलाई छोड़ देना चाहिए। हरे, फाइटिंग दंड उसी तरह की है जो उनके जन्मभूमि के विश्वासघातियों के लिए है "। "5। हमें शांति संधि के विषय पर एक महान ज्ञान की आवश्यकता है। प्यार के विचारों के साथ? नहीं! लेकिन जो हमें खा लिया है उनके खिलाफ पवित्र नफरत में " "6। जो झूठ हमारे पास से घूंघट करते हैं, वह हमारा दुर्भाग्य समाप्त होना चाहिए। वर्तमान पैसे के पागलपन की धोखाधड़ी को दिखाया जाना चाहिए। यह हम सभी की गर्दन को सीधा कर देगा " "7। एक नई मुद्रा के लिए नींव के रूप में, जो हमारे खून से नहीं हैं, उनकी संप��्ति सेवा करना चाहिए। यदि ��जारों सालों से जर्मनी में रह रहे परिवार अब अधिक से अधिक हो चुके हैं, तो हमें यहूदी लोगों को भी ऐसा करना चाहिए "। "8। हम सभी यहूदियों का तत्काल निष्कासन मांगते हैं जिन्होंने 1 9 14 से जर्मनी में प्रवेश किया है, और उन सभी के भी, जो स्टॉक एक्स��ेंज पर धोखाधड़ी के माध्यम से या अन्य छायादार लेन-देन के माध्यम से अपना धन अर्जित किया है "। "9। आवास की कमी ऊर्जावान कार्रवाई के माध्यम से मुक्त होनी चाहिए; उन लोगों के लिए घरों को दिया जाना चाहिए, जो उनके योग्य हैं एइस्नेर ने 1 9 18 में कहा था कि हमारे कैदियों की वापसी की मांग करने का हमें कोई अधिकार नहीं था-वह केवल खुले तौर पर यह कह रहा था कि सभी यहूदी क्या सोच रहे थे जो लोग सोचते हैं, उन्हें महसूस करना चाहिए कि एकाग्रता शिविर में जीवन कैसा महसूस करता है! " "चरम सीमा चरम से लड़ी जानी चाहिए। भौतिकवाद के संक्रमण के खिलाफ, यहूदी मरी के खिलाफ हमें एक ज्वलंत आदर्श को पकड़ना होगा। और अगर दूसरों ने विश्व और मानवता के बारे में बात की तो हम कहते हैं जन्मभूमि-और केवल एफ़ आर्टलैंड! "
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ऐसे हों गाल तो सुख संपत्ति से होंगे मालामाल
सद्गुरु स्वामी आनंदजी ( आध्यात्मिक गुरु एवं ज्योतिषीय चिंतक) ये भी जानें जिनके कपोल यानी गाल कोमल और कमल के सदृश्य हों, वह धनी होता है। हाथी, बाघ और सिंह के समान कपोल वाले व्यक्ति नाना प्रकार की संपत्तियों के स्वामी होते हैं और जीवन में ढेरों प्रकार के सुख भोगते हैं, ऐसा पुराणों में वर्णित है। टिप्स ऑफ द वीक 1. खीर की आहुति सुख और ऐश्वर्य के साथ संतान को सुख देने वाली होती है, ऐसा तंत्रशास्त्र के सूत्र कहते हैं। 2. नित्य मिश्री का भोग प्रसाद पारिवारिक आनंद में वृद्धि कर कर्ज के भय से दूर रखता है, ऐसा मान्यताएं कहती हैं। 3. मीठी वस्तुओं का नियमित वितरण सुख, शांति और समृद्धि का मार्ग प्रशस्त करता है, ऐसा परंपराएं कहती हैं। प्रश्नः दसवीं के बाद मेरे बेटे का ग्राफ नीचे आ गया। उसके करियर और शिक्षा को लेकर चिंतित हूं। मार्ग दिखाएं। जन्म तिथि- 28.03.1998, जन्म समय- 12.58 दोपहर, जन्म स्थान- वाशी, नवी मुंबई। - सोनाली त्रिपाठी उत्तर: सद्गुरुश्री कहते हैं कि आपके पुत्र की राशि मीन और लग्न मिथुन है। उसके करियर भाव में सूर्य और मंगल विराजकर जहां कुल दीपक योग निर्मित कर रहे हैं, वहीं बुध और शनि आसीन होकर उसे प्रखर मस्तिष्क का स्वामी बना रहे हैं। उसकी शिक्षा का स्वामी शुक्र अष्टम में विराजकर जहां स्वभाव की चंचलता और उसके मस्तिष्क की अस्थिरता से उसके शैक्षिक परिणामों का बंटाधार कर रहा हैं, वही उसके ग्रह योग उसे मित्रों के चुनाव के प्रति सजग रहने की चुगली भी कर रहे हैं। विधाता का संकेत है कि आपके पुत्र को दोस्तों की जगह किसी सलाहकार या योग्य व्यक्तियों की सलाह से भविष्य की योजना निर्धार���त करनी चाहिए। ऐसे लोग कई बार अपने दिमाग के सही समय पर उचित प्रयोग के अभाव में कई सुनहरे अवसर गंवा देते हैं। ऐसे लोग तकनीकी विषय, इंटरनेट, एनिमेशन, राजनीतिशास्त्र, पत्रकारिता, समाजशास्त्र इत्यादि क्षेत्रों में बड़ी सफलता और शोहरत हासिल करते हैं। नियमित रूप से गुरुवार को चावल का जल प्रवाह, दही का दान, उपहार न लेने, काले और गहरे नीले रंगों का प्रयोग न करने से लाभ होगा, ऐसा मान्यताएं कहती हैं। प्रश्नः क्या मेरी कुंडली में तलाक की संभावना है/ जन्म तिथि- 28.10.1989, जन्म समय- 14.45, जन्म स्थान- बहादुरगढ़। - दीपिका शर्मा उत्तर: सद्गुरुश्री कहते हैं कि आपकी राशि कन्या और लग्न कुंभ है। आपके पति भाव का स्वामी बुध अपने परम मित्र सूर्य के साथ व्यय भाव में विराजकर जहां आपको प्रखर बुद्धि प्रदान कर रहा है, वहीं साथ में मंगल भी बैठकर आपको तीव्र मांगलिक तो बना ही रहा है, आपके स्वास्थ्य को कुछ प्रभावित कर मान-सम्मान में कमी का भी संकेत दिए जा रहा है। यह योग आपके स्वभाव को कुछ अतिसंवेदनशीलता, भावुकता और उग्रता भी प्रदान कर रहा है, जो समस्या के मूल में एक छोटी या बड़ी वजह अवश्य हो सकती है। आपकी कुंडली में तलाक का यूं तो कोई सीधा संकेत नहीं मिलता। पर यदि आपके पति मांगलिक न हुए तो ये स्थिति भी समस्या की जड़ हो सकती है। छोटी उलझन को बड़ी समस्या समझना, कई बार बड़े कष्ट का सबब बन जाता है। तलाक के पूर्ण और सही विश्लेषण के लिए आपके पति की कुंडली अनिवार्य है। मांसाहार का त्याग, भोजन के प्रथम ग्रास का गाय या अग्नि को अर्पण, सकारात्मक चिंतन, सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पठन लाभ प्रदान करेगा, ऐसा मान्यताएं कहती हैं। प्रश्नः कालसर्प योग से मुक्ति का क्या उपाय है/ इस योग ने परेशान कर दिया है। जन्म तिथि- 29.03.1994, जन्म समय- 23.33, जन्म समय- सीकर। -आशीष सैनी उत्तर: सद्गुरुश्री कहते हैं कि कालसर्प योग एक विशिष्ट योग है, जो उत्तम ग्रहों के सानिध्य में बेहद बेहतर परिणाम और कठिन ग्रह योगों से प्रभावित होकर जीवन में संघर्ष का साक्षी बनता है। सनद रहे, कठिन परिश्रम, गंभीर प्रयास, कड़ा अनुशासन, मीठी वाणी, सत्य संभाषण, सकारात्मक विचार हर दुर्योगों को भंग करने की क्षमता रखता है। संदर्भ के लिए नियमित रूप से पक्षियों को जौ का अर्पण, मांसाहार और मदिरा का त्याग, शिवलिंग पर दही का अभिषेक, सूखे नारिकेल और कोयले का जल प्रवाह, उरद को राहु मंत्र से अभिमंत्रित कर उसका दान, महामृत्युंजय मंत्र का जाप, सरसों, देवदारू, चंदन और लोहबान से पके जल से स्नान, लाल रंग के वस्त्रों के अधिका��िक प्रयोग से कालसर्प की नकारात्मकता में कमी होती है, ऐसा पारंपरिक अवधारणाएं और मान्यताएं कहती हैं। पर कमाल ये है कि आपकी कुंडली में तो कालसर्प योग है ही नहीं। अतः इस योग का बेवजह भय जेहन से निकाल दें। प्रश्नः हथेली पर द्वीप बनना क्या होता है/ ये शुभ है या अशुभ। -निर्मल अरोड़ा उत्तर: सद्गुरुश्री कहते हैं कि सामुद्रिक शास्त्र यानि हस्तरेखा विज्ञान के अनुसार किसी रेखा में से कोई उपरेखा निकलकर वापस उसी रेखा में समा जाए, तो उससे निर्मित यह आकृति द्वीप कहलाती है। इसके द्वीप नामकरण के पीछे शायद इसके आकार का किसी द्वीप या टापू की तरह होना होगा। हर रेखा पर बने द्वीप का तात्पर्य और अर्थ भिन्न-भिन्न है। पर सामान्यत: इसे शुभ चिह्न नहीं माना जाता है। मोबाइल ऐप डाउनलोड करें और रहें हर खबर से अपडेट। http://dlvr.it/PwykJy
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संघ और भाजपा और उनकी भारत सरकार आपके बच्चों को मूर्ख बनाना चाहती है : हिमांशु कुमार मुझे संघी होने में क्या समस्या है? राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ एक सांस्कृतिक संगठन है, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ही भारतीय जनता पार्टी का वैचारिक आधार है, भारतीय जनता पार्टी भारत की सत्ताधारी पार्टी है, भारतीय जनता पार्टी का विचार ही भारत सरकार का विचार है, यानी राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के विचार ही अब भारत सरकार के विचार हैं, लेकिन अगर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के विचार ही भारतीय सरकार के विचार बन जायेंगे तो उसमें क्या समस्याएं आयेंगी ? राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ मानता है कि भारतीय पुरातन विचार ही सत्य हैं, भारतीय पुरातन विचार मानता है कि पहले ज्ञान था बाद में अज्ञान फ़ैल गया, जबकि सारी दुनिया में समाजों के विकास की वैज्ञानिक खोज मानती है कि पहले अज्ञान था बाद में धीरे धीरे ज्ञान का विकास हुआ है और आज भी हो रहा है, हम सब जानते हैं कि आज भी ज्ञान का विकास हो रहा है, लेकिन भारतीय पुरातन विचार मानता है कि पहले सतयुग था तब सब कुछ अच्छा था लेकिन बाद में सब कुछ खराब होना शुरू हो गया, इसी विचार से प्रभावित होकर बीच-बीच में भारत का प्रधानमंत्री कहता है कि पहले हमारा विज्ञान इतना विकसित था कि भारत में तो पहले इंसान के सर पर हाथी का सर लगाया जाता था, इस विचारधारा को मानने वाले नेता कहते हैं कि समुन्दर में पत्थर तैरते थे और हनुमान सूर्य को निगल जाता था और राम के समय में विमान होते थे वगैरह वगैरह, चिंता की बात यह है कि यह अब भारत सरकार के विचार हैं, भारत सरकार के विचार होने का मतलब है कि भारत सरकार के स्कूल कालेज विश्वविद्यालयों, वैज्ञानिक संस्थानों को भी यही मानना पड़ेगा, इसका अर्थ यह है कि भारत सरकार की समझ और वैज्ञानिक समझ के बीच बुनियादी झगड़ा है, तो अब भारत सरकार वैज्ञानिक समझ पर हमला करेगी, वैज्ञानिक समझ का मतलब विज्ञान की खोजों के बारे में किताबें नहीं होती, वैज्ञानिक समझ का मतलब है कि हर चीज़ के बारे में सच्चाई खोजी जाय, यानी भारत की जाति व्यवस्था के बारे में वैज्ञानिक ढंग से खोज करी जाय कि जाति व्यवस्था का इतिहास क्या है इसका भारत की अमीरी और गरीबी से क्या सम्बन्ध है, दलित गरीब क्यों बन गये वगैरह वगैरह, अगर यह खोजें होंगी तो राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ जिस हिंदुत्व की सर्वश्रेष्ठता के आधार पर सत्ता पर बैठा है वही खत्म हो जायेगी, इसलिए राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रभाव में चलने वाली भारत सरकार क्यों चाहेगी कि देश में कोई भी ऐसी पढ़ाई चलाई जाय जिससे राष्ट्रीय स्वय सेवक संघ का वैचारिक आधार ही नष्ट हो जाय, इसलिए राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के दबाव में भारत सरकार ने इस साल जेएनयू में रिसर्च की पन्द्रह सौ सीटें कम कर के कुल सत्तर छात्रों को प्रवेश लेने दिया है, क्योंकि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ नहीं चाहता कि समाजशास्त्र के विषय में खोजें करी जाएँ, इस तरह भारत के युवाओं को सत्य की खोज से अगर वंचित किया जाएगा तो उसका क्या परिणाम होगा, सारी दुनिया के युवा तो सोच और काम में आगे निकल जायेंगे लेकिन भारत का युवा यही कहेगा कि हमारे हनुमान हवा में उड़ते थे और सूर्य को खा जाते थे और मैं तो मंगल का व्रत रखूंगा उससे मैं परीक्षा में पास हो जाऊँगा, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ और भाजपा और उनकी भारत सरकार आपके बच्चों को मूर्ख बनाना चाहती है, ताकि इनकी झूठ के आधार पर हड़पी गई सत्ता बनी रहे, चाहे इसकी कीमत भारत के युवाओं को कुछ भी चुकानी पड़े, यह भारत के भविष्य की हत्या है, आप अगर भाजपा को चुनते हैं तो आप संघ को भी चुनते हैं आप संघ को चुनते हैं तो आप उसकी विचारधार को भी चुनते हैं आप इस बात को भी स्वीकार करते हैं कि भारत में वर्ण व्यवस्था समाज को ठीक रखने के लिए ज़रूरी है जबकि सारी दुनिया जाति व्यवस्था के खिलाफ है आप इस बात को भी स्वीकार करते हैं कि अच्छी स्त्री वह होती है जो घर पर रह कर पुरुष के बच्चे पैदा करे और उन्हें पाले जबकि सारी दुनिया की औरतें बराबरी के लिए कोशिश कर रही हैं आप इस बात को भी स्वीकार करते हैं कि पहले ज्ञान था बाद में अज्ञान आ गया जबकि सारी दुनिया मानती है कि पहले अज्ञान होता है और बाद में ज्ञान का विकास होता है आप इस बात को भी स्वीकार करते हैं कि आपका हिन्दू धर्म सबसे महान और ज्ञान से भरा हुआ है जबकि सारी दुनिया मानती है कि हिन्दू समेत सभी धर्म अज्ञान और पुरानी बातों से भरे हुए हैं आप अगर सारी दुनिया से कट कर अपने कुँए में मेढक बन कर रहने के लिए तैयार हैं तो ज़रूर भाजपा को चुन सकते हैं लेकिन आप बड़े चालाक हैं एक तरफ तो आप भाजपा को चुनते हैं उधर अपने बेटे-बेटी को अमेरिका में डालर कमा कर ऐश लूटने के लिए भेज देते हैं आप एक हाथ से वैज्ञानिक समझ और प्रगतिशीलता के फायदे भी लूटते हैं और दूसरे हाथ से अपने अंध विश्वास से बने हुए अस्तित्व पर गर्व भी करते रहते हैं, आप जब तक खुद के अज्ञान और गलत को स्वीकार नहीं करेंगे भारत इसी पिछड़ेपन में डूबा रहेगा।
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Published by Shree Manglam News- बाल विकास परियोजना अधिकारी के पद पर हुआ भोपाल के प्रशांत का चयन मुजफ्फरनगर। उत्तराखण्ड लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित पीसीएस परीक्षा के आज घोषित अंतिम परिणाम में प्रशांत कुमार अहलूवालिया का चयन होने से उनके परिजनों व क्षेत्र में हर्ष का माहौल है। उक्त परीक्षा के आधार पर प्रशांत कुमार का चयन बाल विकास परियोजना अधिकारी के पद पर हुआ है। प्रशांत कुमार मूलतः... https://www.shreemanglamnews.com/archives/904
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बाल विकास परियोजना अधिकारी के पद पर हुआ भोपाल के प्रशांत का चयन
मुजफ्फरनगर। उत्तराखण्ड लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित पीसीएस परीक्षा के आज घोषित अंतिम परिणाम में प्रशांत कुमार अहलूवालिया का चयन होने से उनके परिजनों व क्षेत्र में हर्ष का माहौल है। उक्त परीक्षा के आधार पर प्रशांत कुमार का चयन बाल विकास परियोजना अधिकारी के पद पर हुआ है। प्रशांत कुमार मूलतः मुजफ्फरनगर जनपद के ग्राम भोपा के मूल निवासी है। इस सफलता का श्रेय प्रशांत कुमार अपने ब्रह्मलीन दादा चौ. सुरेश कुमार अहलूवालिया के आर्शी��ाद व उनके मार्गदर्शन में हुई परवरिश को देते है। इसके अतिरिक्त उनके अनुसार इस सफलता में उनकी दादी श्रीमती प्रेमलता, चाचा प्रणपाल सिंह, चाची श्रीमती पूनम, माता-पिता एवं समस्त परिजनों सहित उनके गुरूजन भूदेव सिंह प्रधानाचार्य, लाला जगदीश प्रसाद इण्टर कॉलेज, मुजफ्फरनगर व अमित मलिक, विभागाध्यक्ष समाजशास्त्र डीएवी कॉलेज, मुजफ्फरनगर का भी विशेष योगदान रहा। प्रशांत कुमार ने इसके पूर्व कर्मचारी चयन आयोग द्वारा आयोजित परीक्षा वर्ष 2012 में ही उत्तीर्ण कर ली थी व उनका चयन जीएचटी (कैग) मुम्बई में हुआ था, लेकिन आगे पढ़ाई जारी रखने के कारण उन्होंने वहां ज्वाइन नहीं किया था। इसके पश्चात प्रशांत कुमार ने समाजशास्त्र विषय में स्नातकोत्तर के पश्चात यूजीसी द्वारा आयोजित जेआरएफ (नेट) परीक्षा दो बार उत्तीर्ण की। सम्प्रति प्रशांत कुमार एमजेपी, रूहेलखण्ड विश्वविद्यालय, बरेली में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर कार्यरत है व सिविल सेवा की परीक्षा उत्तीर्ण करना उनका अग्रेतर लक्ष्य है। प्रशांत कुमार की पारिवारिक पृष्ठभूमि एक कुलीन, संस्कारित व उच्च शिक्षित परिवार की हैं। आपके दादाजी स्व. सुरेश कुमार अहलूवालिया क्षेत्र के ख्यातिलब्ध गणितज्ञ, समाजसेवी व पर्यावरणविद् थे। प्रशांत के पिता डा. धु्रव पाल सिंह, उप्र सचिवालय, लखनऊ में उप सचिव के पद पर कार्यरत हैं। प्रशांत के परिवार में उनकी छोटी बहन शीतल राजकीय महाविद्यालय ट्यूनी, देहरादून में असिस्टेंट प्रोपफेसर है। इनके चाचा व पिता दोनों नेट क्वालीफाइड है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश से प्रशासनिक सेवाओं में कम प्रतिनिधित्व के प्रश्न पर प्रशांत द्वारा बताया गया कि वृहद अध्ययन, स्तरीय पाठ्य सामग्री व कड़ी मेहनत ही सफलता का मूल मंत्रा है।
प्रशांत अहलूवालिया को इस सपफलता पर शुकतीर्थ पीठाधीश्वर स्वामी ओमानन्द महाराज, जिलाधिकारी गौरीशंकर प्रियदर्शी, एसएसपी मुजफ्फरनगर अनंतदेव तिवारी, शासन प्रशासन के अनेक अधिकारियों, सीओ भोपा मौहम्मद रिजवान, थानाध्यक्ष भोपा विजय सिंह, प्रधानाचार्य भूदेव सिंह, प्रधानाचार्य चौ. छोटू राम पीजी कॉलेज मुजफ्फरनगर डा. नरेश मलिक, विभागाध्यक्ष समाजशास्त्र डीएवी कॉलेज मुजफ्फरनगर एवं क्षेत्रा की गणमान्य विभूतियों मंे संत कुमार शर्मा, डा. वीरपाल निर्वाल, महावीर सिंह राठी, धर्मपाल सिंह राठी, मौ. इजहार अहमद, मौ. शहजाद, जितेन्द्र वर्मा, मौ. दिलशाद अहमद एवं वरिष्ठ पत्रकार हेमन्त त्यागी ��दि द्वारा उन्हें बाधाई, आर्शीवाद एवं भविष्य में उत्तरोत्तर तरक्की हेतु शुभकामनाएं दी गयी। प्रशांत कुमार की इस सफलता से न केवल मुजफ्फरनगर जनपद का गौरव बढ़ा है, अपितु क्षेत्र के युवाओं को भी उनसे प्रेरणा लेकर अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सफलता प्राप्त करने का मार्ग प्रशस्त हुआ है।
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यूपीएचईएससी: असिस्टेंट प्रोफेसर के 3900 पदों का अधियाचन प्रेषक ने पूछा
यूपीएचईएससी: असिस्टेंट प्रोफेसर के 3900 पदों का अधियाचन प्रेषक ने पूछा
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प्रदेश के सहायता प्राप्त डिग्री कॉलेजों में रिक्त असिस्टेंट प्रोफेसर के 3900 पदों की चयन प्रक्रिया शुरू करने की दिशा में शिक्षा निदेशालय में काम चल रहा है। निदेशालय ने इस बारे में शासन की ओर से प्रेषित पत्र का जवाब भेजते हुए रिक्त पदों का अधियाचन उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग को प्रेषित की अनुमति मांगी है। उधर, सभी क्षेत्रीय उच्च शिक्षा प्राधिकरणों को पत्र भेजकर सत्यापित रिक्त पदों का विवरण…
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विलुप्त हो रहे ज्ञान को आधुनिक संदर्भों में पुनर्जीवित करने की आवश्यकता - राज्यपाल Divya Sandesh
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विलुप्त हो रहे ज्ञान को आधुनिक संदर्भों में पुनर्जीवित करने की आवश्यकता - राज्यपाल
उदयपुर। जनार्दनराय नागर राजस्थान विद्यापीठ डीम्ड टू बी विश्वविद्यालय, उदयपुर का 13वां दीक्षांत समारोह मंगलवार को प्रतापनगर स्थित आईटी सभागार में आयोजित किया गया। राज्यपाल कलराज मिश्र ने राजभवन में अपने कार्यालय से ऑनलाइन माध्यम से 1609 विद्यार्थियों को उपाधियां प्रदान की। कार्यक्रम में 94 पीएचडी धारक, 1516 स्नातक एवं स्नातकोत्तर तथा वर्ष 2019 में प्रथम स्थान प्राप्त करने वाले 35 विद्यार्थियों को स्वर्ण पदक प्रदान किए गए। इससे पूर्व एकेडमिक व बोम सदस्यों की ओर से अकादमिक शोभायात्रा निकाली गई। संस्थागीत व दीप प्रज्वलन के बाद राज्यपाल ने संविधान की प्रस्तावना एवं संविधान के अनुच्छेद 51 (क) में वर्णित मूल कर्तव्यों का वाचन किया।
इस अवसर पर राज्यपाल कलराज मिश्र ने कहा कि दीक्षांत का अर्थ है दीक्षित होकर नए जीवन में प्रवेश करना। यह शिक्षा का अंत नहीं बल्कि ऐसी शुरुआत है जिसमें सीखे हुए ज्ञान का उपयोग विद्यार्थी समाज व राष्ट्र के निर्माण में कर ज्ञान का आलोक चहुंओर फैलाता है। उन्होंने उम्मीद जताई कि शिक्षण संस्थाएं नई शिक्षा नीति के आलोक में ऐसी शिक्षा प्रदान करेंगे जिससे भारतीय जीवन मूल्य व संस्कृति के साथ-साथ पूरा समाज पोषित और संपन्न हो सकेगा। उन्होंने कहा कि गौतम बुद्ध कहते थे-अप्प दीपो भवः, अर्थात अपने दीपक स्वयं बनो, वे चाहते हैं कि विद्यार्थी अपने ज्ञान के आलोक में स्वयं आलोकित होकर समाज व राष्ट्र को आलोकित करें।
विद्यापीठ के संस्थापक पं. नागर के व्यक्तित्व व कृतित्व को नमन करते हुए राज्यपाल ने कहा कि यह उनकी दूरगामी सोच का ही परिणाम है कि उन्होंने राजस्थान के सुदूर आदिवासी अंचल में वंचित वर्गों को शिक्षा के लिए बरसों पहले शुरुआत की। राज्यपाल ने कहा कि यह समय सूचनाओं पर तेजी व विशेषाधिकार प्राप्त करने का है। विलुप्त हो रहे ज्ञान को आधुनिक संदर्भों में पुनर्जीवित करें, ऐसे पाठ्यक्रम विकसित करें जि��में स्थानीय ज्ञान व विज्ञान को सहेजते हुए विद्यार्थी आत्मनिर्भर भारत को आगे बढ़ाने में सक्षम हो सकें। शिक्षण में नवाचार होने चाहिए। कोविड के दौर ने सूचना व संचार तकनीकों का महत्व स्थापित किया है। अब आवश्यकता तकनीक के माध्यम से ऐसी शिक्षा के प्रसार की है जिससे विद्यार्थी रटंत की जगह व्यावहारिक शिक्षा प्राप्त कर सके। स्थानीय संसाधनों और संस्कृति के धरोहर के संरक्षण में भी तकनीक का अधिकाधिक उपयोग करें।
अध्यक्षता करते हुए विद्यापीठ विवि के कुलाधिपति प्रो. बलवंत एस जानी ने कहा कि मेवाड़ ने राष्ट्र को ऐसे शिक्षक दिए जिन्होंने भारतीय जनमानस में आजादी की अलख जगाई। यही नहीं, पं. जनार्दनराय नागर जैसे मनीषियों ने शिक्षा के साथ ही आजादी के आंदोलन में भी हिस्सा लिया। ऐसे उदाहरण बिरले मिलते हैं कि संस्थापक ने खुद कुलगीत भी लिखा। यहां के दीक्षित विद्यार्थी राष्ट्रप्रीति, राष्ट्रभक्ति की भावना से ओतप्रोत हैं। उनकी बौद्धिक क्रियाशीलता व प्रज्ञा भारत के मस्तिष्क को विश्व में ऊंचा कर रही है।
स्वागत उदबोधन एवं प्रतिवेदन प्रस्तुत करते हुए कुलपति प्रो. शिवसिंह सारंगदेवोत ने कहा कि 83 वर्ष पूर्व 21 अगस्त 1937 को विद्या के प्रसार का महा अनुष्ठान स्वतंत्रता सेनानी मनीषी कीर्तिशेष पंडित जनार्दनराय नागर ने मात्र 3 रुपये के किराये के भवन से किया था जो आज 50 करोड़ के वार्षिक बजट एवं 7 हजार से अधिक विद्यार्थियों के साथ वटवृक्ष बन गया है। राजस्थान विद्यापीठ हमेशा अभावों की संस्था रही है लेकिन भाव हमेशा प्रधान रहे। नई शिक्षा नीति के माध्यम से हमें आत्मनिर्भर भारत का सपना सच करते हुए भारत को फिर से विश्वगुरु बनाना है।
अति विशिष्ठ अतिथि राजस्थान उच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता आर.एन. माथुर ने कहा कि अच्छे राष्ट्र के निर्माण में शिक्षा का महत्वपूर्ण योगदान है। नई शिक्षा नीति में राष्ट्र की धरोहर के सभी मूल्य प्रतिष्ठित होते हैं। एक भाषा, एक राष्ट्र पर बल देते हुए नई शिक्षा नीति पुरातन गौरव को पुनः प्राप्त करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। कुल प्रमुख भंवरलाल गुर्जर, रजिस्ट्रार डॉ. हेमशंकर दाधीच ने भी विचार व्यक्त किए।
बेटियों ने मारी बाजी समारोह में 2019 में यूजी एवं पीजी में 35 उत्कृष्ट छात्र-छात्राओं को गोल्ड मैडल दिए गए। इनमें 32 छात्राओं के नाम रहे। जिन 94 पीएचडी धारकों को डिग्री प्रदान की गई उनमें 11 कम्प्यूटर साइंस, 5 सोशल वर्क, 28 एज्यूकेशन, 2 राजनीति, 2 इतिहास, 7 भूगोल, 3 अर्थ शास्त्र, 2 संस्कृत, 6 हिन्दी, 7 मैनेजमेंट, 1 एकाउंट्स, 5 मेडिसन, 3 व्यावसायिक प्रशासन, 4 अंग्रेजी, 4 समाजशास्त्र, 1 आर्कियोलॉजी, 5 होम्योपैथी विषय में हैं।
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